Abhilekhpal ya Record Keeper ke kartavya 2
अभिलेखापाल या रिकार्ड कीपर के कर्तव्य 2
Abhilekhpal ya Record Keeper ke kartavya 2
रिकार्ड कीपर का ध्यान नियम 352 की ओर दिलवाया जाता है। जिसके अनुसार नियम 340 में वर्णित सूचीयों की वर्ष के अंत में जिल्द बनाने के निर्देश है ऐसी जिल्द रिकार्ड रूम में पंजीयों के रूप मे काम आती है।
रिकार्ड का ध्यान नियम 353 की ओर दिलवाया जाता है जिसमें रिकार्ड रूम में जमा किये गये रजिस्टर को दर्ज किया जाता है इसे ‘‘अभिलेखागार में जमा की गई पंजीयों का रजिंस्टर‘‘ कहा जाता है।यह रजिस्टर तीन भाग में होता है इसके प्रथम भाग में स्थाई रूप से रखे जाने वाले न्यायालय के रजिस्टरों की सूची रहती है जबकि भाग दो में निर्धारित काल के पश्चात् नष्ट किये जानेवाले रजिस्टर की सूची रहती है और भाग तीन में अभिलेखागार पंजीयों की सूची रहती है। भाग 2 को भी पंजीयों क सुरक्षित रखने की अवधि के अनुसार 9 भागों में बाटा जाता है जिसमें 35 वर्ष से 1 वर्ष तक सुरक्षित रखे जाने वाले पंजीयों को वर्ग ए से वर्ग आई तक अलग-अलग वर्ग में बाटा जाता है। जब भी कोई रजिस्टर रिकार्ड रूम में प्राप्त होता है तब उनकी प्रविष्टि भाग 1 या भाग 2 जिससे भी संबंधित हो उसमें की जाती है।
रिकार्ड कीपर का ध्यान नियम 353 की ओर और इसके पालन की ओर दिलवाया जाता है ताकि रिकार्ड रूप में जमा पंजीयां सही रूप से पंजीबद्ध हो समय पर उनका विनिष्टिकरण हो सके।
अभिलेखों का परिरक्षण और उन्हें नष्ट किया जाना
- लघुवाद न्यायालय में और एमजेसी प्रकरणों के अलावा अन्य अभिलेख में विभिन्न फाइल को सुरक्षित रखने की अवधि निम्न प्रकार से होती हैः-
- फाइल ए हमेशा के लिए सुरक्षित रखी जायेगी ।
- फाइल ए-1 12 वर्ष समाप्त होने पर नष्ट कर दी जायेगी।
- फाइल बी 25 वर्ष समाप्त होने पर नष्ट कर दी जायेगी।
- फाइल सी 12 वर्ष समाप्त होने पर नष्ट कर दी जायेगी।
- फाइल डी 1 वर्ष समाप्त होने पर नष्ट कर दी जायेगी।
उक्त कालावधि की गणना वाद या वर्ग एक से तीन के प्रकरणों में अंतिम डिक्री या अंतिम आदेश के दिनांक से की जायेगी और जिन प्रकरणों में अपील प्रस्तुत की गई उनमें अपील न्यायालय द्वारा दी गई अंतिम डिक्री या अंतिम आदेश के दिनांक से कि जायेगी। किन्तु जिन प्रकरणों में डिक्री में या किसी वाद के आदेश में धन के भुगतान या संपत्ति के लिए या दिये जाने हेतु कोई भविष्य की तिथि नियत की गई हो या उसमें कोई मध्यांतरों का भी निर्देश हो तो ऐसी नियम तिथि या ऐसे अंतिम मध्यांतर की समाप्ति से अवधि की गणना की जावेगी। वर्ग चार के प्रकरणाे मे समयावधि की गणना निष्पादन आवेदन के निपटारें की तिथि से की जाती है प्रत्येक निष्पादन एक पृथ्क आवेदन माना जाता है जो ऐसे मामले में दिया गया हो अर्थात अंतिम निष्पादन आवेदन के निपटारे से गणना करना होती है।
- रिकार्ड कीपर का ध्यान नियम 354 के उपनियम 4 की ओर भी दिलाया जाना चाहिए जिसमें भारी और स्थूल एक्जीबिट दस्तावेज हिसाब पुस्तके आदि जो पृथक संदूक या अलमारी में रखे होते है। उनके विनिष्टकरण के बारे में पक्षकरों का सूचना देने के बार विनिष्टिकरण के निर्देश दिये गये है। प्रायः रीडर और रिकार्ड कीपर दोनों का ऐसे दस्तावेजों पर ध्यान नहीं जाता है और ये अलग ही पडें रह जाते है। अतः इस नियम का पालन किया जावे और ऐसे रिकार्ड के विनिष्टिकरण पर भी ध्यान दिया जावे।
- रिकार्ड कीपर का ध्यान फाईल डी के प्रतिमाह विनिष्टिकरण के लिए बने नियम विनिष्टिकरण की ओर दिलवाया जाता है जिस संबंध में नियम 354 के उपनियम 5 में प्रावधान है।
- रिकार्ड कीपर का ध्यान नियम 354 के उपनियम 6 और 7 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसमें विनिष्टिकरण हेतु मुल अभिलेख से कोई भाग निकालने और न्यायाधीश के देख-रेख में ही विनिष्टिकरण करने के निर्देश है ।
- एमजेसी या विविध प्रकरणों का भी अभिलेख निराकरण तिथि से तीन वर्ष के समाप्त होने पर करने के निर्देश नियम 354 के उपनियम 8 में है। जिनका पालन किया जाना चाहिए।
- नियम 354 के उपनियम 9 में लधुवाद न्यायालय के अभिलेख के विनिष्टिकरण करने के अवधि और प्रक्रिया का प्रावधान है। जिसका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। जबकि नियम 354 के उपनियम 10 में पंजीयों को सुरक्षित रखने संबंधी प्रावधान है। जिनका पालन किया जाना चाहिए।
- रिकार्ड कीपर का ध्यान नियम 355 की ओर विशेष रूप से आकर्षित किया जाता है जिसमें विशेष रूप से रिकार्ड कीपर को एक नक्शा या प्लान तथा एक निर्देशक सूची या इंडेक्स रखने के निर्देश है जिसमें अलमारियों की संख्या उनकी स्थिति और रिकार्ड रूम में रखे गये बस्तों की संख्या और उनकी व्यवस्था बतलाने के निर्देश है। तथा इस इंडेक्स को प्रतिवर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में पुनरीक्षित या रिवाईज करने के निर्देश है। नियम 355 के कडाई से पालन करने से किसी भी व्यक्ति के रिकार्ड रूम में प्रविष्टि होते ही उसे नक्शा या प्लान और इंडेक्स देखकर यह पता लग सकता है कि रिकार्ड रूम में कितनी अलमारियां, कितने बंडल है वे कहा और इस क्रम में रखे हैं। नक्शें और इन्डेक्स में वर्षवार और न्यायालयवार जानकारी भी दर्शाई जाना चाहिए। प्लान और इंडेक्स पूरी रिकार्ड रूम के आईने की तरह होते है अतः इन्हें बहुत सावधानी से और कठोर परिश्रम से सुसपष्ट बनाना चाहिए।
- रिकार्ड कीपर का यह कर्तव्य है कि न केवल अभिलेखों को उचित रीति से सुरक्षित रखे बल्कि उनके विनिष्टि करण की अवधि आने पर उन्हें नियमानुसार नष्ट भी करे ताकि नये रिकार्ड के लिए जगह बनती जायेरिकार्ड कीपर का यह महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि वह रिकार्ड को दीमक से बचाये और इसके लिए दीमक रोधी उपाय प्रभारी अधिकरी के निर्देश पर किये जावे समय ≤ पर अलमारी और रैक की जांच करे भी आवश्यक है रिकार्ड रूम में अग्निशमन यंत्र अवश्य हो रिकार्ड रूम में बिजली की व्यवस्था की समय समय पर ऐसी जांच करवानी चाहिए कि र्शाट शक्रिट आदि की संभावना न रहे।
- रिकार्ड कीपर का पद अत्यंत उत्तरदायीत्व का पद है अतः रिकार्ड कीपर को इस दायित्व को समझते हुयें उक्त निर्देशों का कडाई से पालन करना चाहिए।